क्या बिहार में मंत्री बनने के लिए भ्रष्ट होना आवश्यक है? आखिर क्या चाहती है नीतीश सरकार?
जिस भ्रष्टाचार के आरोप की वजह से पूर्व शिक्षा मंत्री मेवालाल चौधरी को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा, उस पद पर एक बार फिर से भ्रष्टाचार के आरोप में घीरे भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी को अतिरिक्त पदभार देकर शिक्षा मंत्री भी बना दिया गया है।
पूर्व शिक्षा मंत्री मेवालाल चौधरी के इस्तीफा देने के बाद नीतीश सरकार ने भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी को शिक्षा मंत्री का अतिरिक्त पदभार सौंपा है और उन्होने अब शिक्षा मंत्री का पदभार संभाल भी लिया है लेकिन सवाल जहाँ से शुरु हुआ था एक बार फिर वहीं आकर खड़ा हो गया है। सवाल ये है कि क्या बिहार में मंत्री बनने के लिए भ्रष्ट होना आवश्यक है? जिस भ्रष्टाचार के आरोप की वजह से पूर्व शिक्षा मंत्री मेवालाल चौधरी को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा, उस पद पर एक बार फिर से भ्रष्टाचार के आरोप में घीरे भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी को अतिरिक्त पदभार देकर शिक्षा मंत्री भी बना दिया गया है।
राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव ने आज अपने फेसबुक पोस्ट में दावा किया है कि अशोक चौधरी पर करोड़ों के गबन के आरोप में CBI जाँच चल रही है। तेजस्वी यादव ने कहा कि एक भ्रष्ट शिक्षा मंत्री को हटवाया नहीं कि दूसरे ऐसे व्यक्ति को शिक्षामंत्री बना दिया जिनपर सपरिवार करोड़ों के ग़बन की CBI जाँच चल रही है। नीतीश जी की ऐसी क्या मजबूरी जो शिक्षा व्यवस्था सुधारने की बजाय ऐसे कारनामे वाले को मंत्री बनाया जो किसी सदन का सदस्य नहीं है? क्या राज है जी?
गौरतलब है कि भ्रष्टाचार और पत्नी की संदिग्ध हालात में हुई मौत के आरोप में घीरे मेवालाल चौधरी को पदभार संभालने के 3 घंटे के अंदर ही अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था, उसके बाद नीतीश सरकार ने जदयू कोटे से भवन निर्माण मंत्री बने अशोक चौधरी को शिक्षा मंत्री का अतिरिक्त पदभार दिया था और आज अशोक चौधरी ने शिक्षा मंत्री का पदभार संभाल लिया है। लेकिन अशोक चौधरी पर तो पहले से ही भ्रष्टाचार के आरोप में CBI जाँच चल रही है। तो क्या नीतीश कुमार और भाजपा के गठबंधन वाली NDA सरकार में मंत्री बनने के लिए भ्रष्ट होना आवश्यक है? आखिर क्या चाहती है नीतीश सरकार? शिक्षा जैसे प्रतिष्ठित विभाग में एक भ्रष्ट व्यक़्ति को पदभार देकर शिक्षा को किस स्तर पर ले जाना चाहती है बिहार सरकार?
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