हाजीपुर- युवा जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष धीरज राय ने बिहार के हाजीपुर की बदहाल सड़क की तस्वीर शेयर कर सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि सड़क में गड्ढे,या गड्ढे में सड़क है?
धीरज राय ने आगे कहा कि हाजीपुर के बाजितपुर-पोखरैरा गांव की मुख्य सड़क वर्षों से बदहाली का शिकार है, यह सड़क बारिश के महीने में किसी जानलेवा हथियार से कम नहीं है । इस सड़क से गुजरने वाले राहगीर भगवान का नाम लेकर ही इस सड़क से गुजरते है । हाजीपुर विधानसभा के विकास की कहानी की यह एक झलक मात्र है। ऐसी झलकियाँ लगभग पूरे विधानसभा क्षेत्र में है ।
उन्होने सवालिया अंदाज़ में कहा कि विकास का अंदाजा आप इसी से लगाइए,और अपनी अंतरात्मा से पूछिए,क्या हाजीपुर में विकास हुआ है?अगर नहीं हुआ तो इसके जिम्मेदार कौन है? उन्होने बताया कि उक्त सड़क के निर्माण प्रारम्भ होने के लिए संबंधित पदाधिकारी से वार्तालाप हुई थी, तब उन्होंने 2 माह का समय माँगा था और कहा था कि उक्त अवधि से पहले तक कार्य प्रारम्भ हो जाएगा । सभी स्थानीय ग्रामीणों की सहमति से उक्त अवधि तक इंतजार करने का निर्णय हुआ था। उक्त अवधि बीतने के बाद जब कार्य प्रारम्भ नहीं हुआ तब इस पर पुनः संज्ञान लिया गया है हमलोगों के द्वारा ।
गौरतलब है कि हाजीपुर विकास के मामले में अभी भी बहुत पिछड़ा हुआ है, नितिश कुमार की बिहार सरकार ने हाजीपुर को ग्रेटर पटना में शामिल कर हाजीपुर के विकास की बात वर्षों पहले कही थी लेकिन शायद ये जुमला मात्र था। हाजीपुर न तो ग्रेटर पटना में शामिल हुआ और ना ही हाजीपुर का विकास संतोषजनक तरीके से हो पाया है।
पिछले लगभग 25 साल से हाजीपुर में भाजपा के विधायक रहे हैं और लगभग इतने समय से ही NDA की गठबंधन पार्टी लोजपा और जदयु के सांसद भी रहे हैं, पिछले 15 साल से भाजपा और NDA गठबंधन की सरकार बिहार में है फिर भी हाजीपुर बदहाली का शिकार है। बिहार सरकार के अंतर्गत आने वाली सड़कें तो बदहाल है ही।
बात अगर नगर परिषद स्तर की की जाए तो नगर परिषद स्तर पर भी सड़क बदहाली का शिकार है, न तो सही सड़क है और ना ही सड़कों के किनारे नाला का ही निर्माण हो पाया है। जहाँ कहीं नाला है भी तो साफ सफाई के अभाव में वो भी बदहाल है। बरसात के मौसम में सड़क पर बने गड्ढ़े और जाम नाला या नाला के अभाव के कारण सड़क पर चलना भी दूभर है। सड़क नाले से भी बदतर हो जाता है।
हाजीपुर के सर्वेश कुमार ने इस पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि इसके लिए जनता जिमेदार है जहाँ की 75 प्रतिशत जनता वोट देने के लिए भी जाति देखती है कि कौन कैंडिडेट मेरी जाति का है या कैंडिडेट जिस पार्टी से खड़ा है उस पार्टी का मुखिया मेरी जाति का है या नही,यह स्थिति सबसे ज्यादा शिक्षित युवाओं में देखने को मिलता है बाद बाँकी 25 प्रतिशत जनता अपने अन्य कारणों से वोट देकर निश्चिंत हो जाती है तो हाल तो ऐसा होगा ही।
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