हाजीपुर- बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर सरगर्मी तेज है सभी राजनितिक दल अपने अपने चुनावी कार्य में व्यस्त हैं, ऐसे में कोरोना और बाढ़ से प्रभावित क्षेत्रों में उभरे हालात की सुध कौन से यह गंभीर चिंता का विषय है। इस पर बिहार के समाजिक कार्यकर्ता कबीर आलम ने अपनी राय रखी, आईए जानते हैं उनके लिखे Article से क्या कहा उन्होने?
समाजिक कार्यकर्ता और नई रौशनी समाजसेवी संस्था के संस्थापक कबीर आलम ने अपने प्रेस ऐलानिया में अपने ख्यालात और जनता के रूख को भाँपते हुए कहा कि अक्टुबर नवम्बर में बिहार विधानसभा चुनाव होने जा रहा है इसको देखते हुए बिहार में राजनितिक उथल पुथल मचा हुआ है जिसे देख कर बिहार की जनता हैरान और परेशान है। मालुम हो कि पिछले करीब 2 महीने से सभी राजनितिक पार्टियाँ अपनी ही फिक्र में लगी हुई हैं, सब को अपनी अपनी कुर्सी की पड़ी है लेकिन जनता की फिक्र किसी को नही है।
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श्री कबीर आलम ने आगे कहा कि मैने चौक चौराहों पर अक्सर लोगों को कहते सुना है कि एक तो 6 महीने से लॉकडाउन लगा है, कारोबार चौपट हो गया है, दिन पर दिन कोरोना के मरीज बढ़ ही रहे हैं, कई जिलों में तो लोग कोरोना के साथ साथ बाढ़ से भी परेशान हैं और लोग ऊँची जगहों पर या अपनी ज़िन्दगी को खतरे में डाल कर बाँध पर प्लास्टिक पन्नी बाँध कर रात गुजारने पर मजबुर हैं लेकिन सरकार इन सब परेशानियों पर कम और चुनाव पर ज़्यादा ध्यान दे रही है, जिसके कारण जनता में चुनाव को लेकर कोई खास उत्साह नही है।
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